रिटायर्ड कैप्टन के साथ नाईंसाफी,न्याय न मिलने पर करेंगे उपवास

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स्वंय फौजी रिटायर,बेटा फौज में
सरेआम अत्याचार करने वाले मौज में

देहरादून। विश्व युद्ध हो या 1962,1965,1971के युद्ध हों अथवा प्रतिकूल स्थान व मौसम में अत्यधिक ऊंचाई पर लड़ा जाने वाला 1999का कारगिल युद्ध,देवभूमि उत्तराखंड के जाबांजों ने हर युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवाया है।अंग्रेज भी मानते थे कि पहाड़ी सैनिक युद्ध के मोर्चे पर पूरी ताकत व बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ता है। अंग्रेज सेना का सर्वोच्च वीरता पदक “विक्टोरिया क्रास”भी ससम्मान उत्तराखंड की झोली में आया था।
शांति व युद्ध दोनों समय के अनैकों वीरता मैडल इस वीरभूमि की बहादुरी के गवाह हैं,और साथ में रणबांकुरों की जाबांजी के इतिहास से भरा पड़ा है भारतवर्ष के 27 राज्य देवभूमि व वीरभूमि उत्तराखंड का स्वर्णिम इतिहास।लेकिन बिडम्बना देखिए कि अवकाश प्राप्त करने पर इन वीर बलिदानियों को न सिर्फ भुला दिया जाता है,बल्कि इनके साथ अत्याचार की घटनाएं भी दिनोंदिन होती दिखाई व सुनाई देती हैं।

जी हां, ऐसा ही एक मामला देहरादून के हर्रावाला क्षेत्र का सामने आया है। वहीं के सिद्धपुरम एनक्लेव लेन नंबर 3 निवासी, फौज के रिटायर्ड कैप्टन भाग सिंह सजवान ने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाले कुछ लोग और क्षेत्र के पार्षद पिछले कई महीनों से उनके घर के पास का रास्ता जानबूझकर रोक रहे हैं। 

इस बारे में उन्होंने आरोपियों से बातचीत कर समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद उन्होंने पुलिस की शरण ली। लेकिन पुलिस के तमाम अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई और आज उनका दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि उनके मकान के बाहर की बाउंड्री वॉल को भी आरोपियों ने तोड़ दिया और उनका रास्ता अवरुद्ध कर दिया। 

रिटायर्ड कैप्टन सजवान ने बताया कि उनका बेटा भी इस समय भारत-चीन सीमा पर तैनात है। उसने भी फौज के माध्यम से प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को शिकायत भेजी है। इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। कोई कार्यवाही ना होने के कारण आरोपियों का हौसला बढ़ गया और वे उन्हें बार-बार धमका रहे हैं जिससे उनको जान-माल का खतरा हो गया है।

उन्होंने कहा कि फौज में जीवन भर काम करने के बाद जो उन्हें रिटायरमेंट पर पैसा मिला उससे उन्होंने अपना मकान बनाया और बाउंड्री वाल खड़ी की, जिसे आरोपियों ने तोड़ दिया और उनका रास्ता रोक दिया। इसके बावजूद उन्होंने उम्मीद जताई कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उनकी शिकायत को गंभीरता से लेंगे और उस पर कार्रवाई करते हुए उन्हें न्याय दिलाएंगे। 
कैप्टेन सजवाण ने कहा कि यदि फिर भी न्याय न मिला तो वे उपवास तथा भूख हड़ताल पर बैठने को भी विवश हो सकते हैं।

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