उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के मीडिया पेनलिष्ट शीशपाल सिंह बिष्ट ने समाचार पत्र में उत्तराखंड की बेरोजगारी एवं पलायन पर छपी खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की पिछले वर्षों में उत्तराखंड से बेतहाशा पलायन हुआ है उत्तराखंड ग्रामिया विकास एवं पलायन आयोग की सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ जिसमें उत्तराखंड में पिछले वर्षों में 10000 ग्राम पंचायतों से 5 लाख से ज्यादा लोगों ने लाइन क्या जिसमें अधिक संख्या संख्या 42% नौजवानों की है उन्होंने कहा कि सरकार मूलभूत सुविधाएं पर्वतीय जनपदों में उपलब्ध कराने में विफल रही वहां न तो स्वास्थ्य की सुविधा है ना रोजगार की कोई व्यवस्था है चिकित्सा सुविधाओं का भी बुरा हाल है शिक्षा सुविधाएं भी उच्च स्तर की नहीं है जिस कारण लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं सरकार आंख मूंदे बैठी है।
सरकार के पास ना तो कोई नियोजन है ना कोई नीति है यह दिशाहीन सरकार है ।यही हाल सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सी एम आई आई ) की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर पूरे देश में सबसे ज्यादा है पूरे देश में बेरोजगारी की दर 7.8 प्रतिशत है वहीं उत्तराखंड में बेरोजगार की दर 8.7 प्रतिशत है जो बहुत ही चिंता एवं निराशा का विषय है सरकार की कोई रोजगार नीति नहीं है सरकारी विभागों में कितने पद रिक्त हैं। यह सरकार अभी तक नहीं बता पाई है जबकि चुनाव पूर्व सरकार ने कहा था कि हम सरकार आते ही 25000 नियुक्तियां निकालेंगे रोजगार के मामले में केवल घोषणा ही ही है धरातल पर सरकार की कोई रणनीति नहीं है कोई योजना नहीं है बल्कि संविदा पर रखे गए बेरोजगारों को सरकार बाहर का रास्ता दिखा रही है जो स्पष्ट करती है कि सरकार की रोजगार नीति क्या है ।शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा की चाहे ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट हो या बेरोजगारी पर सी एम आई की रिपोर्ट हो दोनों ही सरकारी रिपोर्ट है जो उत्तराखंड सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी हैं अगर इसके बाद भी सरकार नहीं चेती तो यह घोर चिंता का विषय है मजबूरन विपक्षी दलों को आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।