आप प्रवक्ता नवीन पिरशाली ने आप प्रदेश कार्यालय देहरादून में एक प्रेसवार्ता कर प्रदेश में आई भीषण आपदा पर राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ,इस आपदा में धामी सरकार पूरी तरफ फेल हो गई है। 17 और 18 अक्टूबर को आई भाषण बारिश ने सरकार के इंतजामों की पोल खोल कर रख दी। राज्य में कई लोगों की भारी बारिश से मौत हो चुकी है। लेकिन सरकार की मदद अभी तक कई लोगों तक नहीं पहुच पाई है। गढवाल से लेकर कुंमाउ तक सरकार की अनेदखी की वजह से लोगों को अपनी जान गंवाने के साथ , घर बार,खेत खलिहान सब गंवाने पडे लेकिन यह सरकार सिर्फ हवाई यात्रा में मस्त है ।
उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा आपदा का असर नैनीताल जिले में देखने को मिला ,जहां मरने वालों का आंकडा सबसे ज्यादा रहा । उन्होंने बताया कि, सरकार इस आपदा को लेकर असंवेदनशील रही, नैनीताल की नैनीझील इसका सबसे बड उदाहरण है,जहां सिंचाई विभाग की लापरवाही से सरोवर नगरी नैनीताल को बीते दिनों काफी नुकसान हुआ । विभाग ने नैनीझील के 5 निकासी (एग्जिट) गेट की संख्या कम करके 2 की। झील में ऑटोमेटिक निकासी द्वार की व्यवस्था की गई, लेकिन आपदा के समय स्काडा गेट नहीं खुल पाए । जिस कारण झील से पानी ओवर फ्लो होकर शहर के मकानों और घरों में भर गया। कई गाडियां इस सैलाब में डूब गई। नैनी झील के 3 गेट बंद रहे ,जबकि जल निकासी के लिए पांच गेट बने है। उन्होंने कहा कि , सिंचाई विभाग ने झील के जल स्तर को नियंत्रित करने के लिए स्काडा गेट लगवाए हैं ,लेकिन ऑटोमेटिक संचालित होने के बावजूद भी यह गेट ,आपदा के समय नहीं खुल पाए और पानी झील से बाहर निकल गया।
नैनी झील का जलस्तर बीते दिनों 12 फीट पहुंच गया था ,लेकिन विभाग द्वारा लगाए गए गेट ऑटो मोड में संचालित नहीं हुए. ,जिससे करोड़ों की लागत से बना ऑेटोमेटिक स्काडा गेट हाथी के दांत बनकर रह गया.। विभाग का दावा फेल हो गया । विभाग के अधिकारियो ंने कहा था कि, 12 फीट पानी का लेबल पहुंचने पर गेट खुद खुल जाएंगे ,लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं। स्काडा गेट पानी की 3 इंच निकासी के बाद खुद बंद हो जाते हैं ,क्यों कि ये हाईड्रोलिक सिस्टम से लैस होते हैं ,लेकिन विभाग इतना बडा लापरवाह निकला कि उसकी गलती की वजह से गेट खुले ही नहीं। अधिकारियों का खुद मानना है कि, पानी निकासी के लिए पानी के लेबल फिक्स किए गए हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि, ना तो अधिकारी दफतर में थे और ना ही उनके द्वारा गेट समय पर ऑटोमेटिक तौर पर खुल पाए।
उन्होनें आगे बताया कि, अंग्रेजों ने यहां 5 गेट लगवाए थे ,जिससे झील पर दबाव न पड़े और आवश्यकता पड़ने पर गेटों को खोला जा सके,.लेकिन सिंचाई विभाग ने अपनी सहूलियत के लिए इन गेटों की संख्या घटाकर 2 कर दी। जिसके कारण झील में पानी की मात्रा बढ़ गई और गेट ना खुलने से पानी ओवरफलो हो गया। भारी बारिश और झील में जल भराव के दौरान सिंचाई विभाग के कार्यालय में एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
क्या ऐसा है उत्तराखंड सरकार का तंत्र। पहले ही रेड अलर्ट घोषित हो चुका था ,तो आखिर क्यों स्काडा गेटों को ऑटोमेटिक मोड पर नहीं डाला गया था। क्या विभाग और सरकार को किसी बडे हादसे का इंतजार था। इस आपदा ने सरकार की असलियत सबके सामने ला दी है। प्रदेश के दोनों ही मंडलों में बारिश ने काफी तबाही मचाई ,लेकिन सरकार और अधिकारी समय पर पीडितो के पास नहींं पहुंच पाए। ना ही कोई मदद लोगों तक पहुंच रही है। अभी भी शासन द्वारा नुकसान का सही आंकलन तक नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि, जनता ने इस आपदा से बीजेपी का असली चेहरा पहचान लिया है। ये सरकार जनविरोधी सरकार है ,जो आपदा के समय में भी अवसर तलाश कर रही है।
धामी सरकार इस आपदा में पूरी तरह फेल साबित हुई है। धामी जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम साबित हुए हैं। वो भी अन्य सीएम की तरह ही निकले ,जो हवाई दौरे और हवाई घोषणाएं करने तक सीमित हैं।
आप पार्टी मांग करती है कि, ऐसी गंभीर चूक के लिए जो भी दोषी कर्मचारी और अधिकारी हैं ,उन पर कडी कार्यवाही की जानी चाहिए । लोगों को हुए नुकसान के लिए उन्हें सरकार 10 लाख मुआवजा दे। भीषण आपदा को देखते हुए केन्द्र सरकार तुंरत राज्य के लिए 10 हजार करोड का आर्थिक पैकेज जारी करे और किसानों को 50 हजार प्रति हेक्टेयर फसल का नुकसान का मुवावजा दिया जाए ।