आंदोलनकारियों के हक हकूक की लड़ाई मजबूती के साथ सड़क से लेकर सदन तक लड़ेगी आप-रविंद्र जुगरान,वीडियो देखें

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आंदोलनकारियों के हक हकूक की लड़ाई मजबूती के साथ सड़क से सदन तक लड़ेगी आप-रविंद्र जुगरान
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आंदोलनकारियों के हक हकूक की लड़ाई मजबूती के साथ सड़क से सदन तक लड़ेगी आप।यह बात आज प्रेस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ आप नेता,उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष व आम आदमी पार्टी नेता रवीन्द्र जुगरान कही।
वार्ता करते हुए राज्य निर्माण आंदोलनकारी और शहीदों के हक की लड़ाई आम आदमी द्वारा लड़ने की जुगरान ने बात कही,राज्य सरकार को कोसते हुए कहा कि उत्तराखंड की प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों, विभिन्न गोलीकांडो में घायल आंदोलनकारियों,जेल गये आंदोलनकारियों, राज्य निर्माण में अपना स्वर्णिम भविष्य न्योछावर करने वाले आंदोलनकारियों का अपमान कर रही है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। रवीन्द्र जुगरान ने कहा की शहीदों, आंदोलनकारियों, उत्तराखंड के लिए अपना सर्वस्व एवं स्वर्णिम भविष्य न्योछावर करने वालों एवं उत्तराखंड के सम्मान में आम आदमी पार्टी है मैदान में।

रविंद्र जुगरान ने कहा कि आम आदमी पार्टी हर प्रकार से उत्तराखंड आंदोलनकारीयों को सम्मान दिलाने के लिए सड़क से सदन तक एवं आवश्यकता पड़ने पर कानूनी लड़ाई भी लड़ेगी। जुगरान ने कहा कि आंदोलनकारीयों को सरकारी सेवाओं में दिये जा रहे क्षैतिज आरक्षण का वाद वर्ष 2011 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में विचाराधीन था किन्तु सरकारों की असंवेदनशीलता, लापरवाही,लचर पैरवी व इच्छा शक्ति के अभाव में उच्च न्यायालय उत्तराखंड ने वर्ष 2018 मार्च में 10% क्षैतिज आरक्षण को निरस्त कर दिया। उत्तराखंड सरकार को चाहिए था की इस आदेश को निष्प्रभावी करने हेतु व विधानसभा में विधेयक पारित करवाकर 10% क्षैतिज आरक्षण के लिए कानून एक्ट बनाती या फिर उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देती पर सरकार ने ऐसा नहीं किया उल्टे वर्ष 2018 में ही उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शासनादेश जारी कर इसको समाप्त कर दिया । विदित हो कि अभी हाल ही में अपर सचिव गृह द्वारा एक आदेश निकाल कर सरकारी सेवा रत आंदोलनकारीयो को उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में नोटिस जारी किये जा रहे हैं। अब लगभग 14-15 वर्षों से सरकारी विभागों में सेवा रत आंदोलनकारीयो की नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है। इसके साथ ही राज्य लोक सेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड व अन्य विभागों से चयनित सैकड़ों आंदोलनकारी भी विगत 05 वर्षों से चयनित होने के बाद भी नौकरी से वंचित हैं। इस समस्या का आसान समाधान था कि राज्य सरकार विधानसभा में विधेयक पारित कर एक्ट बनाती ओर Reterospective / पूर्व गामी प्रभाव से कानून बनाती तो सभी सेवारत आंदोलनकारीयों की सेवा भी सुरक्षित रहती पर सरकार ने ऐसा नहीं किया जब की इसके बाबत सरकार को अनेक प्रकार से प्रत्यावेदन दिये ।

रविंद्र जुगरान ने कहा, विधानसभा अध्यक्ष हो या बीजेपी मेयर हो , अपनों को नौकरियां देने के लिए चोर दरवाजे का इस्तेमाल करते,नियमों को दरकिनार कर देते लेकिन बात दूसरों के बच्चों की आती तो इनको सांप सूंघ जाता है। उन्होंने कहा इस मुद्दे पर पहले भी कई बार बीजेपी मंत्रियों से बात हुई लेकिन हर बार
आंदोलनकारीयों को दरकिनार किया जाता रहा है ।उन्होंने कहा , शहीदों व आंदोलनकारीयों की उपेक्षा का सबसे बड़ा प्रमाण है कि इस सरकार ने साढ़े 04 वर्षों में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद का भी गठन करने की आवश्यकता महसूस नहीं की। चिंताजनक, दुखद व आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि सरकार अपने द्वारा किए गए शासनादेशों को भी उच्च न्यायालय में बचा नहीं पा रही है जिनको उच्च न्यायालय निरस्त कर रहा है।

रविंद्र जुगरान ने बताया इस मुद्दे पर कल 01 जुलाई ,आम आदमी पार्टी उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारकों में जा कर शहीदों को नमन करेंगी और उनके सम्मान में हुई घोषणाओं को पूरा करने का संकल्प लेगी।
प्रेस वार्ता में रवीन्द्र जुगरान, एडवोकेट राज्य आंदोलनकारी संजय बलूनी,रविंद्र आनंद मौजूद थे।

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