विधानसभा में बैक डोर भर्ती पर सोशल मीडिया में भी उठने लगी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल के खिलाफ आवाज
वर्तमान में उत्तराखंड पूरे देश में सुर्खियों में हैं। जहाँ एक तरफ उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा करवाई गयी परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद सभी में जांचें चल रही हैं और आरोपियों की धर पकड़ की जा रही है, वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड की विधानसभा में पूर्व में हुई नियुक्तियों पर तमाम तरह के प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं। जब से उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से अलग हुआ है नियुक्तियों का ये सिलसिला भी तभी से चला आ रहा है। जितने भी विधानसभा अध्यक्ष अभी तक उत्तराखंड में हुए हैं सभी ने अपने विशेषाधिकार का दुरूपयोग कर मनमाने तरीके से अपने नजदीकियों को बिना किसी उपयुक्त प्रक्रिया के विधानसभा की नौकरियाँ बाँट दी।
इसमें सबसे ज्यादा नियुक्तियाँ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के अध्यक्ष रहते हुई हैं। कुंजवाल पर ये आरोप है कि उन्होंने अपने बहु-बेटे, भतीजे सहित अपने कई रिश्तेदारों को ये नौकरियां रेवड़ी की तरह बाँट दी। कुंजवाल के द्वारा अपनी विधानसभा जागेश्वर के कई अपात्र उम्मीदवारों को ये सभी रिक्त पद एक सादे कागज पर प्रार्थनापत्र के जरिये बाँट दिए गए। सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि जिन लोगों को भी ये नियुक्तियाँ मिली में उनमें से अधिकाँश लाभार्थियों को प्रार्थनापत्र तक लिखना नहीं आता। ऐसे ही कई प्रार्थना पत्र आजकल सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। आजकल सोशल मीडिया पर कुंजवाल का घोर विरोध हो रहा है। लोग फेसबुक व्हाट्सएप तथा ट्विटर में अलग अलग तरीके से अपना विरोध जता रहे हैं।
सोशल मीडिया में जनता की आवाज को प्रमुखता से उठाने वाले मनोज तिवारी नाम के एक यूजर ने कुंजवाल को टैग किया है और कुंजवाल के परिवार से नौकरी पाए लोगों की लिस्ट के साथ लिखा हैं कि
“जब बेरोजगार युवा नौकरी की आस में 1000-1000 के फॉर्म भर रहा था तब ये सरकार में बैठे हुए महाचोर जनता के पैसे अपनी जेब में डालकर अपने परिवार को नौकरी दे रहे थे।”
एक फेसबुक यूजर भारत फर्त्याल ने लिखा है “कुंजवाल जी माना कि आपने अपने अध्यक्ष पद के अधिकार के तहत ये सब किया लेकिन सोचने वाली बात ये है कि ये सभी लाभार्थी आपके अत्यंत करीबी और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं तथा रसूखदार परिवारों से ही क्यों थे?? किसी गरीब परिवार से क्यों नही थे?”
Ps धानक नाम के एक यूजर ने कुंजवाल सरनेम वाले लाभार्थियों की लिस्ट के साथ लिखा है “बोलो कितने कुंजवाल?? तथा कथित विकास पुरुष।”
जनता के विरोध के बाद कुंजवाल ने बयान दिया कि सभी नियुक्तियाँ नियमानुसार हुई हैं जिसको कोर्ट द्वारा भी सही माना गया है और मेरे बेटे बहु पड़े लिखे और बेरोजगार थे तो मैंने उन्हें विधानसभा में नियुक्ति दी। इस बयान का भी सोशल मीडिया में खासा विरोध हो रहा है।
युवा पहाड़ी कार्तिक उपाध्याय लिखते है कि “वाह कुंजवाल जी यह आपके परिवार का बड़ा दुर्भाग्य है कि सिर्फ आपके बेटे बहू ही शिक्षित बेरोजगार थे बाकी सब या तो अनपढ़ थे या किसी ना किसी रोजगार से जुड़े थे। मेरा जूता है जापानी।”
एक और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट योगेश बहुगुणा योगी ने कुंजवाल वाले बयान को पोस्ट कर कटाक्ष करते हुए लिखा है:- “ऐसा जिगरा भी हर किसी के पास कहाँ होता है? है ना?”
इस तरह हजारों लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर कुंजवाल का घोर विरोध किया जा रहा है। विरोध हो भी क्यों ना, पात्र उम्मीदवारों को ठेंगा दिखाकर अपने अपात्र सगे सम्बन्धियों, अपने बेटे बहू तथा अपने क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक सादे कागज पर नियुक्ति जो दी है। इस तरह के नेताओं का विरोध होना भी चाहिए ऐसे ही नेता उत्तराखंड में भ्रष्टाचार, लूट खसौट के असली गुनहगार हैं।
प्रदेश की जनता अब हर भ्रष्टाचार की सीबीआई जाँच की माँग प्रमुखता से उठा रही है। देखना होगा कि प्रदेश के मुखिया सीबीआई जाँच करवाते हैं या नहीं।