तन और मन के विकास के लिए खेल आवश्यक-डॉ0 विकास सिंह

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तन और मन के विकास के लिए खेल आवश्यक-डॉ0 विकास सिंह

राठ महाविद्यालय पैठाणी, पौड़ी के शारीरिक शिक्षा विभाग कि व्याख्यानमाला की तीसरी कड़ी ,

शासकीय महिला पीजी कॉलेज गाजीपुर, उत्तर प्रदेश के डॉ0 विकास सिंह थे मुख्य वक्ता I

पैठाणी I शारीरिक शिक्षा विभाग राठ महाविद्यालय पैठाणी पौड़ी द्वारा हर सप्ताह रविवार की सुबह 11 : 00 बजे आयोजित होने वाली व्याख्यान माला की तीसरी कड़ी में डॉ0 विकास सिंह प्रमुख वक्ता थे, राजकीय महिला पीजी कालेज गाजीपुर उत्तर प्रदेश के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर विकास सिंह का व्याख्यान मूलतः पारंपरिक खेलों पर आधारित था, छात्रों को संबोधित करते हुये, डॉ0 सिंह ने कहा कि खेल तन और मन के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, प्राचीन भारतीय दर्शन और विचारों में खेलों को अनिवार्य अंग माना गया था I महर्षि विशिष्ठ, परशुराम, विश्वामित्र, द्रोणाचार्य, जैसे श्रेष्ठ आचार्यों के आश्रमों में शरीर और मन को मजबूत बनाए रखने के लिये तरह- तरह खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता था, जो भारत मै कई सालों तक ग्रामीण स्तर पर खेले जाते रहे, लेकिन आज धीरे-धीरे शहरीकरण के बढ़ने से वो खेल निरंतर विलुप्तप्राय होने की कगार पर हैं।
आज के खेलों में इस तरह का सामंजस्य नहीं के बराबर हैं I
मार्शल आर्ट व कलारी पेड का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ये खेल आज भी जीवित हैं, जो शरीर के साथ मन को भी मजबूती प्रदान करते हैं इसी तरह उन्होंने मैराथन दौड़ के लिए यूनानी परम्परा को श्रेय दिया , जो आज दुनिया भर मे लोकप्रियता बटोर रहा हैं I
इससे पूर्व महाविद्यालय के डॉ0 राजीव दुबे ने मुख्य वक्ता का परिचय कराया, प्राचार्य डॉ0 जितेन्द्र कुमार नेगी ने महाविद्यालय की ओर से डॉ0 विकास सिंह का स्वागत और आभार व्यक्त किया, प्राचार्य डॉ0 नेगी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से छात्र – छात्राओं के ज्ञान में वृद्धि के साथ साथ जागरूकता का भी संचार होता है I डॉ0 गोपेश कुमार सिंह ने भी मुख्य अतिथि के साथ-साथ उपस्थित सभी प्राध्यापकों तथा छात्रो का धन्यवाद ज्ञापित किया, छात्रा दीपा कोश्यारी ने मंगला चरण व चंदन फरत्याल ने शिव- स्त्रोत गा कर बेबीनार का समापन किया I
कार्यक्रम में महाविद्यालय के डॉ0 मंजीत भंडारी व डॉ0देव कृष्ण थपलियाल भी उपस्थित थे।
हिमांशु बिंजोला, प्रियंका विवेक सिंह आदि छात्रों ने महत्पूर्ण भूमिका का निर्वहन किया I

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