गंगा दशहरा पर्व व विश्व जल संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

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गंगा दशहरा पर्व व विश्व जल संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
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आज दिनांक 20 जून 2021 को नमामि गंगे व भारत सरकार की जल मंत्रालय के तत्वाधान में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर चमोली द्वारा गंगा दशहरा पर्व व विश्व जल संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया इस कार्यशाला का उद्घाटन महाविद्यालय की संरक्षक प्राचार्य प्रोफेसर आरके गुप्ता द्वारा किया गया और विषय विशेषज्ञ मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर एमएस नेगी भूगोल विभाग अध्यक्ष हेमंती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा कि पृथ्वी पर चल का संरक्षण आज महत्वपूर्ण बिंदु है अगर पृथ्वी पर जल नहीं रहेगा तो पृथ्वी कल नहीं बचेगी उन्होंने कहा जल ही जीवन है और जल के संरक्षण के लिए हमें खाली स्थानों पर हाल-चाल और कोई तालाबों गाड़ गधी रो काजल संरक्षित करने की आवश्यकता है इसके साथ उन्होंने कहा आज विश्व में पानी का टैंक कहीं जाने वाले हिमालय समाप्ति के कगार पर है और लगातार ग्लोबल वार्मिंग के कारण पानी हिमालय से पिघल रहा है और पानी की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है जिससे समुद्रों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो रही है इसके साथ जैव विविधता भी समाप्त होने की कगार पर है उन्होंने कहा कि समय रहते अगर पानी इस्तेमाल को नहीं समझ पाया तो आने वाले भविष्य के लिए हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इसी क्रम में गढ़वाल विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफ़ेसर बीपी नैथानी जी द्वारा विशिष्ट वक्ता के रूप में कहा कि गंगा बचाओ अभियान 1986 में राजीव गांधी द्वारा चलाया गया था तत्कालीन सरकारी गंगा को बचाने के लिए नमामि गंगे जैसे कार्यक्रम चला रहा है जो सराहनीय है उन्होंने कहा कि पानी भूजल के रूप में धीरे-धीरे समाप्त और पानी की महत्ता पर उन्होंने कहां की सरकारों को पानी को लेकर सरकारों को ठोस नीति नियोजन बनाने की आवश्यकता है उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष भूजल समाप्त होता जा रहा है और इसके लिए छात्रों व विषय विशेषज्ञों को भूजल बचाने के लिए संकल्प लेना होगा उन्होंने कहा कि आज कई लोग भूजल को बचाने के लिए प्रयासरत हैं और उनके प्रयासों से कई नचना सूखने से जिंदा हो गई है।
भूमिगत जल को लेकर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसरआर के गुप्ता नहीं कहा कि इन इस प्रकार की संगोष्ठी वह कार्यक्रमों से जनमानस में नई जागरूकता पैदा होती है और जो यह भूमि जलसंरक्षण को लेकर यह राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई है यह अपने आप में एक सफल और विषय विशेषज्ञों की नई योजनाओं के द्योतक के पल सफल रही है उन्होंने कहा इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों की ज्ञानवर्धक के लिए मात्र ना होकर शोध विषयों में भी भूमिगत जल पर शोध कार्य की जानी चाहिए जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में पीने की जल की आपूर्ति आसानी से हो सके और साथ-साथ में यहां की गंगा जमुना और सहायक नदियां संरक्षित व सुरक्षित सतत रूप से प्रवाहित हो सके प्राचार्य महोदय सभी अतिथियों का अभिनंदन एवं धन्यवाद ज्ञापन किया वक्ताओं के क्रम में राठ महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ जितेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि विश्व में बढ़ते जल वायु प्रदूषण के कारण लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे समुद्र का जलस्तर प्रतिभा 2.3 फिट बढ़ता जा रहा है किसी के साथ लगातार भूजल की स्थिति भी पहनी होती जा रही है भूजल के साथ-साथ भूमिगत जल का शहरी क्षेत्रों में अधिक दोहन होने से भूमिगत जल ही समाप्त की कगार पर है उन्होंने कहा कि अगर समय रहते दोनों प्रकार की जल का संरक्षण किया गया तो मनुष्य पानी के लिए विश्वयुद्ध के लिए अपने को तैयार कर रहा है इसलिए समय रहते हमें सचेत होना पड़ेगा
इसी क्रम में नमामि गंगे की नोडल अधिकारी डॉक्टर भालचंद सिंह नेगी ने कहा कि आज मनुष्य पानी की खोज के लिए चंद्रमा पर पानी ढूंढता जा रहा है किंतु धरती पर बढ़ते जल संकट को इग्नोर कर रहा है हमें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जागरूक होना होगा वरना ही समस्याएं विकराल रूप ले सकती हैं उन्होंने कहा जल संरक्षण को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ में 1992रियोडि जिनेरियो में आयोजित प्रर्यावरण विकास पर संयुक्त राष्ट्र संघ की एसम्बली में विश्व जल दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। इन्होने कहा कि इस 2021का विश्व भ-जल संरक्षण का थीम वल्यूइंग वाटर है जिसका महत्व आम जन को समझना है,आज भारत में पीने के पानी के लिए 6से10किमी0पैदल जाना पड़ रहा है इसी प्रकार गढ़वाल क्षेत्र में भी कई गांवों में आज भी कइ किमी0कीदूरी तय कर पानी भरना पड़ेता है आज धरती पर पीने लायक पानी मात्र 3%है आज गंगा नदी तक पूरी तरह से शहरो के शिविर कचड़े से गंदगी से अपने अस्तिव के लिए संघर्षरत हैं आज हम गंगा दशहरा पर्व मनाया जा रहा है गंगा रहेगी तो जीवन रहेगा, जीवन को बचाना है तो गंगा को बचाना होगा इसके लिए जिम्मेदारी से अपने आसपास की नदियां नालों गाड़ गधैऱ तालाबों झीलों झरनों को साफ रखने केलिए समाज के हर वर्ग को संकल्प लेने की आवश्यकता है कार्यक्रम में डॉ 0एस0पी0उनियाल, डॉ 0मनीष कुकरेती, डॉ 0पी0एल0शाह, डॉ 0गिरजा प्रसाद रतूड़ी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए संचालन डॉ 0बी0सी0एस0नेगी ने किया

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