डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जयंती और हरेला वृक्षारोपण महापर्व 1 पेड़ मां के नाम पर प्रकृति एवं राष्ट्रप्रेम का संगम,

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*देहरादून में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जयंती और हरेला महापर्व पर प्रकृति एवं राष्ट्रप्रेम का संगम*

*देहरादून, 06 जुलाई :* आज देहरादून में संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट द्वारा डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के 125वें जन्मोत्सव और हरेला महापर्व के संयुक्त उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ वृक्षारोपण कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन संस्कृति प्रेक्षागृह में सम्पन्न हुआ, जिसका संचालन बलराज नेगी और साधना शर्मा ने कुशलतापूर्वक किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने संबोधन में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के राष्ट्र निर्माण में योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने हरेला पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रकृति, वन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने का आह्वान किया। श्री उनियाल ने उत्तराखंड में डेढ़ करोड़ वृक्ष लगाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी निर्धारित किया।

महामंत्री संगठन श्री अजेय कुमार ने अपने वक्तव्य में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के संकल्पों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साकार किए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी का सपना अब हकीकत बन रहा है।

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने विश्वभर में हिमालय को बचाने के लिए जमीन और जंगल को सुरक्षित रखने की अनिवार्यता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी प्राकृतिक विरासत का संरक्षण करें।

संघ के वरिष्ठ प्रेम बड़ाकोटि ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के विराट व्यक्तित्व और राष्ट्रहित में उनके विविध कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने अपने ‘मैती अभियान’ के माध्यम से वृक्षों के संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों पर श्रोताओं को प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम का एक भावुक क्षण तब आया जब पद्मश्री बसंती बिष्ट जी ने गौरा देवी के चिपको आंदोलन पर गढ़वाली में एक हृदयस्पर्शी गीत प्रस्तुत किया, जिसने सभी उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया।

इस अवसर पर बच्चों द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना और मांगलिक गीतों के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस गरिमामयी समारोह में माननीय विधायक रायपुर उमेश शर्मा काउ, राज्यमंत्री प्रताप सिंह पंवार (पादप बोर्ड), राज्यमंत्री वीरेंद्र रोमचाल (हस्तशिल्प), राज्यमंत्री सुभाष बड़तवाल (राज्य आंदोलनकारी परिषद), मधु मारवाह, मंजू श्रीवास्तव, कवि साहित्यकार अनिल जी, डॉ. शैलेंद्र, बृजमोहन सहित कई गणमान्य अतिथि और विभिन्न संस्थाओं के अध्यक्ष उपस्थित रहे। यह आयोजन डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के विचारों और उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय विरासत का संगम बन गया।

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