सीएम की अवैध खनन पर चुप्पी के कई मायने,क्या माफियाओं को सरंक्षण दे रहे हैं सीएम धामी: प्रवीण देशमुख,सह प्रभारी ,आप

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*हरिद्वार में अवैध खनन पर बोले आप सहप्रभारी,अवैध खनन पर चुप्पी क्यों साधे हैं सीएम, सीएम धामी से पूछे सवाल: आप*

*सीएम की अवैध खनन पर चुप्पी के कई मायने,क्या माफियाओं को सरंक्षण दे रहे हैं सीएम धामी: प्रवीण देशमुख,सह प्रभारी ,आप*

आप के प्रदेश सह प्रभारी और दिल्ली से आप विधायक प्रवीण देशमुख ने आज प्रदेश में बढते अवैध खनन को लेकर सीएम धामी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड में खनन माफियाओं द्वारा अवैध खनन धडल्ले से किया जा रहा है। आए दिन अवैध खनन के कई मामले अखबारों और समाचारों चैनलों में रोज प्रकाशित होते हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। उन्होंने कहा कि सुखरोद नदी जो हरिद्वार जिले में पडती है ,वहां पर जहां 5 फीट तक खनन वैध है लेकिन माफियाओं द्वारा उस नदी को 150 फीट गहरा खोद कर नदी का सीना चीरा गया है।

 

उन्होंने आगे कहा कि दिन दहाडे यह खनन किया जा रहा है और रात के अंधेरे में तो सारी हदें पार कर दी जाती हैं। आज आज जनता और कई सामाजिक कार्यकर्ता इस मुद्दे को उठा चुके हैं ,लेकिन मुख्यमंत्री का खनन प्रेम बार बार आडे आ जाता है। आज वो चुपकर धामी बन चुके हैं। सीएम धामी अवैध खनन पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि क्या सीएम धामी का इस अवैध खनन के धंधे में पैसा लगा हुआ है। क्या वो भी इस सिस्टम में डायरेक्ट शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इस अवैध खनन का पर्दाफाश करने मैं खुद मौके पर गया तो वहां पर खनन माफियाओं के लोगों द्वारा हमारे साथ बदतमीजी की लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। हमारे साथी जो कैमरे में रिकार्डिंग कर रहे थे उनका मोबाईल छीनते हुई उनसे धक्का मुक्की भी की गई लेकिन हम लोग पीछे नहीं हटे और ना ही अवैध खनन के खिलाफ हम भविष्य में कभी पीछे हटेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि कई मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं लेकिन अवैध खनन का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। क्या यहां के बीजेपी नेताओं का पैसा भी इन माफियाओं के साथ लगा है,या अवैध खनन का पैसा दिल्ली बीजेपी को भी पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के जल जंगल जमीन को लुटने नहीं दिया जाएगा। और आप कार्यकर्ता इसके खिलाफ पूरे प्रदेश में लामबंद होंगे। उन्हेांने जनता से भी इस अवैध खनन के खिलाफ खड़े होने की अपील की क्योंकि यह उत्तराखंड के संसाधनों से जुड़ा सीधा सवाल है।

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